सफलता की धुन चढ गई थी मुझे प्यार की धुन बचपन से पर प्यार की धुन से आवाज भारी थी मुझे करनी जो सफलता की तैयारी थी प्यार की धुन मद्धम मद्धम बजती रही जिंदगी मेरी धीरे-धीरे निकलती रही सफलता का हुनर सीखते-सीखते प्यार करने का हुनर भूल रहा था प्यार, सफ़लता के बीच झूल रहा था प्यार के दिल में दूसरा प्यार पल रहा था क्योंकि में इकरार करने से भी डर रहा था एक रंग ने दूसरे रंग को ढक दिया है प्रेम में मेरा प्रयास थम सा गया है प्यार के चक्कर में इज्जत नहीं चली जाये हमेशा यह डर लगता रहता है पहले धुन प्यार की थी अब सफलता की है शिवराज खटीक सफलता की धुन