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“ हदों में जो नहीं रहती ज़बा अच्छी नहीं होंती, बया

“ हदों में जो नहीं रहती ज़बा अच्छी नहीं होंती,
बया कुछ भी हो तासीर ए बया अच्छी नहीं होंती,
और जो हैं गुस्ताख़ ए शाने मुस्तफा करीमﷺ का,
गज़ाली साफ कहता हैं उसकी पैदाईश अच्छी नहीं होंती ”

#•Gâzâlî #Gül@@m é Àlì F@kéér Mú@vìy@ z@f@r g@z@lì
“ हदों में जो नहीं रहती ज़बा अच्छी नहीं होंती,
बया कुछ भी हो तासीर ए बया अच्छी नहीं होंती,
और जो हैं गुस्ताख़ ए शाने मुस्तफा करीमﷺ का,
गज़ाली साफ कहता हैं उसकी पैदाईश अच्छी नहीं होंती ”

#•Gâzâlî #Gül@@m é Àlì F@kéér Mú@vìy@ z@f@r g@z@lì