संसार में जो कुछ भी सकारात्मक है...उसका महत्व नकारात्मकता के विद्यमान होने से ही है... इसी विचार से उपजी है मेरी यह रचना... "प्राप्त करना चाहा" अनुशीर्षक में... "विजय त्यागी" ★प्राप्त करना चाहा★ प्राप्त करना चाहा मैंने प्रकाश तो.. अंधकार किया आत्मसात, प्राप्ति हेतु नियमन ये न था कोई अकस्मात प्राप्त करना चाहा