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sunset nature बदलते रहे ख़ुदा हम ख़ुद के, हाथों की ल

sunset nature बदलते रहे ख़ुदा हम ख़ुद के,
हाथों की लकीरें बदलती रहीं..!

अरमान पूरे न हुये कभी,
पर ख्वाहिशें बदलती रहीं..!

हम वही रहे पहले के,
ज़माने की तरह इंसान..!

जानवरों की तरह व्यवहार कर,
ज़ालिम दुनियाँ बदलती रही..!

ज़िन्दगी जवानी में जमी रहीं,
बचपन की वो नादानियाँ बदलती रहीं..!

न झेल सके हम जीवन की परेशानियाँ को,
भूली भटकी कहानियाँ बदलती रहीं..!

ख़त्म होती रही ज़िन्दगी तनाव में,
मौत गले लगाने को मचलती रही..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #sunsetnature #taqdeer_ke_khel