तुम एक मोड़ हो कुछ नहीं चाहा है तुमसे पर तुम एक खूबसूरत मोड़ हो मेरी आशिकी का जहाँ ठहरने को मन करता है कुछ पल चुनने का मन करता है तुम्हे पकड़ पास बिठाने को मन करता है क्योकिं तुम एक मोड़ हो मेरी आरज़ू का कुछ नहीं चाहा है तुमसे तुम एक लगाव हो जिसे कुछ सुनाने को मन करता है कुछ भी कहने को मन करता है तुम्हे पुकार बस हाँ या ना कहने को मन करता है कुछ नहीं चाहा है तुमसे तुम एक पर खूबसूरत मोड़ हो मेरी हर खुशी का जहाँ ठहरने को मन करता है। बार बार मेरा क्योंकि तुम से चलना है सफ़र मेरी जिंदगी का ©Anonymous #Neha_Bhargava