दायरा 🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂 मेरे इश्क़ का दायरा, वो इस तरह निभाते हैं। करके निग़ाहों से इशारा, ज़माने से छुपाते हैं। तङप दिल की हो,और करीब जो आना चाहे, पाकीज़गी मुहब्बत की, हमें याद दिलाते हैं। बहक न जाये कभी, उस कटी पतंग की तरह, मुहब्बत की डोर पकड़ कर, हमें दायरा बताते हैं ज़माने से बे परवाह रहो,जो कह दें कभी, लबों पे उंगली, रखकर खामोशी जताते है। इश्क़ इबादत है, यही सीखा है नीलोफ़र। दायरे में रहकर, हम अपना फ़र्ज़ निभाते हैं। दायरा 🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂 मेरे इश्क़ का दायरा, वो इस तरह निभाते हैं। करके निग़ाहों से इशारा, ज़माने से छुपाते हैं। तङप दिल की हो,और करीब जो आना चाहे, पाकीज़गी मुहब्बत की, हमें याद दिलाते हैं।