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कुछ न कह पाने की अजीब लत है इस मरीज ए इश्क़ को....

कुछ न कह पाने की अजीब लत है
 इस मरीज ए इश्क़ को.....
शायद! ये दिल ही दिल में 
तसव्वुर करके खुश है।
हाल ए दिल बयां करदे ..
तो चैन मिल जाये ए ज़मीर
वरना दिन तो गुज़र जाता है..
 रात की तन्हाई बड़ी लम्बी लगती है।
जिक्र जब उसका आता है
होंठ लब्जों कि पैरवी करके 
खुलने का नाम तक नहीं लेते
वरना ...अंदर ही अंदर 
इश्क़ का कारवां अपनी 
फौज से  दीदार के लिए 
पलके बिछाने की बात
करता रहता है।
कुछ न कह पाने की अज़ीब लत है
इस मरीज ए इश्क़ को
बेचारा तसव्वुर करके खुश है।।

©Z. Khan
  #मरीज़ ए इश्क़
manfoolsingh1863

Z. Khan

New Creator

#मरीज़ ए इश्क़ #लव

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