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हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। जीवन भी युगल तत्व प

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं।
जीवन भी युगल तत्व पर आधारित है।
युगल के बिना न सृष्टि संभव है
और न ही सृष्टि का संचालन।
कौन किस पहलू को विशेष महत्व देता है,
इसी पर जीवन की धुरी टिकी रहती है।
कोई ऊध्र्वगामी हो जाता है,
तो कोई अधोगामी।
कार्य समान करने पड़ते हैं,
समय समान ही लगता है,
किन्तु परिणाम अलग-अलग आते हैं।
मात्र श्रम ही परिणाम नहीं लाता,
बुद्धि भी परिणामों की दिशा तय कर सकती है
परिणामों का जिम्मा मन का है,
भावनाओं का है।
मन यदि कार्य में जुड़ेगा ही नहीं तो
परिणाम कैसे आएंगे
आधा मन जुड़ेगा तो
अधूरे परिणाम ही आएंगे। 😂🍫🍂🍂🐦😀🤓💓🍫🍫🍂
मन के जुड़ने का अर्थ है—भावनाओं का जुड़ाव।
कार्य करने की मंशा क्या है 
और कार्य के परिणाम क्या ढूंढ़ रहे हैं 
या केवल कर्म समझकर ही कार्य कर रहे हैं 
किसके लिए कर रहे हैं सचमुच कर रहे हैं अथवा 
दबाव या भय के कारण कर रहे हैं इत्यादि सभी बातें परिणाम तय करती हैं। 
ये सभी हमारे मन के भावों की परिचायक हैं।
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं।
जीवन भी युगल तत्व पर आधारित है।
युगल के बिना न सृष्टि संभव है
और न ही सृष्टि का संचालन।
कौन किस पहलू को विशेष महत्व देता है,
इसी पर जीवन की धुरी टिकी रहती है।
कोई ऊध्र्वगामी हो जाता है,
तो कोई अधोगामी।
कार्य समान करने पड़ते हैं,
समय समान ही लगता है,
किन्तु परिणाम अलग-अलग आते हैं।
मात्र श्रम ही परिणाम नहीं लाता,
बुद्धि भी परिणामों की दिशा तय कर सकती है
परिणामों का जिम्मा मन का है,
भावनाओं का है।
मन यदि कार्य में जुड़ेगा ही नहीं तो
परिणाम कैसे आएंगे
आधा मन जुड़ेगा तो
अधूरे परिणाम ही आएंगे। 😂🍫🍂🍂🐦😀🤓💓🍫🍫🍂
मन के जुड़ने का अर्थ है—भावनाओं का जुड़ाव।
कार्य करने की मंशा क्या है 
और कार्य के परिणाम क्या ढूंढ़ रहे हैं 
या केवल कर्म समझकर ही कार्य कर रहे हैं 
किसके लिए कर रहे हैं सचमुच कर रहे हैं अथवा 
दबाव या भय के कारण कर रहे हैं इत्यादि सभी बातें परिणाम तय करती हैं। 
ये सभी हमारे मन के भावों की परिचायक हैं।