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कोई खुशियों की चाह में रोया कोई दुखों की पनाह में

कोई खुशियों की चाह में रोया
कोई दुखों की पनाह में रोया..
अजीब सिलसिला हैं ये ज़िंदगी का..
कोई भरोसे के लिए रोया..
कोई भरोसा कर के रोया..

©Md Sarfaraj
  #Holi dng
mdsarfaraj6978

Md Sarfaraj

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#Holi dng #Poetry

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