उलझी हुई मरासिम कि डोर गर सुलझाऊंगा रिहाई तो मिल जाएगी मगर ख़ुद टूट जाऊंगा ख़ज़ाने में बची हैं चन्द उम्मीदें नामुमकिन सी इनको भी लुटा दूं तो ज़िंदा कहाँ रह जाऊंगा 9/6/21