Nojoto: Largest Storytelling Platform

हे भारतभूमि, तू राम कृष्ण बुद्ध की धरा कही जाती ह


हे भारतभूमि, तू राम कृष्ण बुद्ध की धरा कही जाती है
जहां 'जिन' का अहिंसा पाठ, वाणी नानक की गाई जाती है
ऐसी ऋषिभूमि तू योगभूमि आम्भी जयचंद्रो की भेंट चढ़ी
घनानंदों के अहं स्वार्थ तले हे पुण्यधरा क्यों कुचली गई
सभ्यता के दमनचक्र में मंदिर संस्कृति का ध्वस्त किया मदांधों की तलवारों ने गिद्धों को मृत्यु भोज दिया
मातृभूमि के वीरों से उन्मत गजों को जो ललकार मिला
तो रेत के तूफानों को उनकी सीमा में रहना सिखा दिया
तिमिर धुंधलका छटा ही था कि विपदा का पहाड़ कुछ यूं टूटा
जैसे घायल गौ की रक्त सुगंध ले भूखा भेड़िया जा पहुंचा
प्रारंभ हुआ धन का नर्तन मान हरण और यश मर्दन
लालच की नई रीत चल पड़ी और खंडित हिंदुस्तान हुआ
परिवर्तन आह!  परिवर्तन 
कितनों का मांगे है जीवन
क्यों निष्ठुर कठोर तू मौन खड़ा, 
क्या मिला है खोकर तन मन धन
स्वाधीन हुआ भारत का जन,पर विचारशक्ति पराधीन हुई
आधुनिकता की धुन में वो भूल गया जीवन दर्शन
राजपाटों का रूप नया पर सोच में लालच समा गया
जयचंद्रों आम्भीकुमारों ने अब नया मुखौटा लगा लिया
मूल्यों का फिर ह्रास हुआ विखंडित भारत समाज हुआ
सत्ता की आकुलता ने उन्हें क्या देशद्रोह भी सिखा दिया
उठो वीर धरा की संतानों 
कर्तव्यों को अपने जानो
ना भ्रम में पड़ो सत पहचानो
क्या हुआ है समझो नादानों 
जो अर्जुन 'चन्द्र'हुए उनकी ही गाथाऐं  गाई जाती हैं 
मत भूलो भारत,राम कृष्ण बुद्ध की धरा कही जाती है

 #yourquotedidi 
#yourquote 
#aakrosh 
#bharat

हे भारतभूमि, तू राम कृष्ण बुद्ध की धरा कही जाती है
जहां 'जिन' का अहिंसा पाठ, वाणी नानक की गाई जाती है
ऐसी ऋषिभूमि तू योगभूमि आम्भी जयचंद्रो की भेंट चढ़ी
घनानंदों के अहं स्वार्थ तले हे पुण्यधरा क्यों कुचली गई
सभ्यता के दमनचक्र में मंदिर संस्कृति का ध्वस्त किया मदांधों की तलवारों ने गिद्धों को मृत्यु भोज दिया
मातृभूमि के वीरों से उन्मत गजों को जो ललकार मिला
तो रेत के तूफानों को उनकी सीमा में रहना सिखा दिया
तिमिर धुंधलका छटा ही था कि विपदा का पहाड़ कुछ यूं टूटा
जैसे घायल गौ की रक्त सुगंध ले भूखा भेड़िया जा पहुंचा
प्रारंभ हुआ धन का नर्तन मान हरण और यश मर्दन
लालच की नई रीत चल पड़ी और खंडित हिंदुस्तान हुआ
परिवर्तन आह!  परिवर्तन 
कितनों का मांगे है जीवन
क्यों निष्ठुर कठोर तू मौन खड़ा, 
क्या मिला है खोकर तन मन धन
स्वाधीन हुआ भारत का जन,पर विचारशक्ति पराधीन हुई
आधुनिकता की धुन में वो भूल गया जीवन दर्शन
राजपाटों का रूप नया पर सोच में लालच समा गया
जयचंद्रों आम्भीकुमारों ने अब नया मुखौटा लगा लिया
मूल्यों का फिर ह्रास हुआ विखंडित भारत समाज हुआ
सत्ता की आकुलता ने उन्हें क्या देशद्रोह भी सिखा दिया
उठो वीर धरा की संतानों 
कर्तव्यों को अपने जानो
ना भ्रम में पड़ो सत पहचानो
क्या हुआ है समझो नादानों 
जो अर्जुन 'चन्द्र'हुए उनकी ही गाथाऐं  गाई जाती हैं 
मत भूलो भारत,राम कृष्ण बुद्ध की धरा कही जाती है

 #yourquotedidi 
#yourquote 
#aakrosh 
#bharat