, स्वयं में ही मत लीन रहो। मत बनो अंधे अपनी तरक्की की लालसा में, किसी मंज़िल को पाने की आशा में।। स्वार्थी तो मत बनो; कि खुद में ही मशगूल रहो।।। जाओ लौट कर, करो व्यक्त उनका आभार, लगाई जिन्होंने है तुम्हारी, ये भवसागर की नैया पार।।।। सुप्रभात। हर एक व्यक्ति की अपनी गति है। यदि हम तेज़ चलने वालों में से हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि धीरे चलने वाले अपने साथियों की ख़ैर-ख़बर तक न लें। #उनकीसुधलो #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #tishiyapa