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ना कभी किसी का बुरा चाहा, ना ही कभी किसी का बुरा



ना कभी किसी का बुरा चाहा,
ना ही कभी किसी का बुरा सोचा,
तो फिर मेरे हिस्से में ही ये ग़म क्यों,
और आँखों में आंँसू क्यों।

अच्छा बनने का सबब मिला मुझे,
किसी की खुशी के बदले दर्द मिला मुझे,
किसी के लिए मांगी दुआ तो,
बदले में मिली मुझे बद्दुआ।

कोशता हूंँ मैं कुदरत को कभी कभी,
के आखिर में यह सब मेरे हिस्से में ही क्यों, 
ऐसे भी गये जन्म में मैनें क्या पापा किए, 
जो इसकी सजा मिली मुझे इस जन्म में। 

ग़र ज़िंदगी को समझ जाओ,
तो यह पहेली कैसी,
जो चाहे वह मिल जाए,
तो फिर यह ज़िंदगी कैसी।

-Nitesh Prajapati 
 ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1080 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।


ना कभी किसी का बुरा चाहा,
ना ही कभी किसी का बुरा सोचा,
तो फिर मेरे हिस्से में ही ये ग़म क्यों,
और आँखों में आंँसू क्यों।

अच्छा बनने का सबब मिला मुझे,
किसी की खुशी के बदले दर्द मिला मुझे,
किसी के लिए मांगी दुआ तो,
बदले में मिली मुझे बद्दुआ।

कोशता हूंँ मैं कुदरत को कभी कभी,
के आखिर में यह सब मेरे हिस्से में ही क्यों, 
ऐसे भी गये जन्म में मैनें क्या पापा किए, 
जो इसकी सजा मिली मुझे इस जन्म में। 

ग़र ज़िंदगी को समझ जाओ,
तो यह पहेली कैसी,
जो चाहे वह मिल जाए,
तो फिर यह ज़िंदगी कैसी।

-Nitesh Prajapati 
 ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1080 #collabwithकोराकाग़ज़

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