तेरी आँखे ऐसी हैं, जैसी हो कोई मधुशाला आधे दशक बाद, तुझे देख ऐसा चढ़ा नशा मैं झूमू ऐसे, जैसे हो कोई मतवाला मेरी थी कुछ मज़बूरी, कैसे तुमको बतलाता कभी न समझा षणयंत्र, क्योंकि मैं था भोला भाला भड़काई है जिसने, तेरे दिल में नफरत की ज्वाला जिन दिन चाहा हमने, जला भस्म उसे कर डाला किस पथ पर जाऊ मैं, नही है कोई सुनने वाला इसलिए उठा कलम, मैंने नया दोस्त बना डाला बस अब भरोशा है इसपे, कभी न देगी छलावा मैंने खुद ही रच डाली, तेरे आँखों से मधुशाला तेरी आँखे ऐसी हैं, जैसे हो कोई मधुशाला... #मधुशाला #आँखें #love #shayari #शायरी #कविता #poem