कोई तो था जो रहा नहीं, जो बचपनसे तुतलाता था। प्राथमिक विद्यालय में मुझसे, दो कक्षा पीछे आता था।। मैं विद्यालय में कुछ गाता, मेरे पीछे वह पड़ जाता था। "दादा मुजतो वी दाना ऐं", मैं उसे बड़ा समझाता था।। मैं उसको ले प्राध्यापक के, सम्मुख ले विनती लगा करने। गुरुदेव इसे कुछ गाना है, वह उछल-कूद भी लगा भरने।। प्राध्यापक बोले क्या भीष्मा, तुम तुतले को ले आये हो। मैं बोला महोदय देखो तो, आत्मविश्वास से तो भरा है वो।। प्राचार्य ने भी आज्ञा दी थी, तुतलाकर उसने गाया था। तब "लाल तिले ती तोती तर" वह गाना उसने गाया था।। उत्साह से सराबोर था वह, एक पुरष्कार भी पाया था। तब से वो मेरा छोटा भाई बनकर, जीवन में समाया था।। तुतलापन छुड़वाया उसका, लेकिन मैं आगे निकल गया। दिल्ली में हुई एक दुर्घटना, वह सदा-सदा को बिछड़ गया।। (25वर्ष पुराना दुखद समाचार किन्तु सत्य) ©bhishma pratap singh #उसकाआत्मविश्वास#वह मेरा सच्चा भाई बन गया था#सत्य घटना#हिन्दी कविता के रूप में#भीष्म प्रताप सिंह#हॉरर #confidenceनवंबर क्रिएटर