Nojoto: Largest Storytelling Platform

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।

©Eat with Rahul
  sayeri in hindi

sayeri in hindi #Shayari

27 Views