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तेरी तलाश में, तेरी सुनसान गलियों में भटकता हूं !

तेरी तलाश में, तेरी सुनसान गलियों में  भटकता हूं ! 
तेरी कदमों की चूमी हुई धूल से   तुम्हारी  आहट पाता हूँ ! 
भूल जाता हूं मैं खुद को जब तुम्हारी जिस्म की खुशबु  पाता हूँ! 
खो देता हूं खुद को जब मैं तुम्हें ना पाता हूं ! 
तू आएगी वापस इसी इल्तिजा में , मैं सारी रात काटता हूं ! 
उम्मीद अब भी है तेरे एक हां का , तू बस हां कह दे मैं यहीं ठहर जाऊंगा ! 
(राहुल कुमार) #Teri talash mein 
     by - Rahul Kumar
तेरी तलाश में, तेरी सुनसान गलियों में  भटकता हूं ! 
तेरी कदमों की चूमी हुई धूल से   तुम्हारी  आहट पाता हूँ ! 
भूल जाता हूं मैं खुद को जब तुम्हारी जिस्म की खुशबु  पाता हूँ! 
खो देता हूं खुद को जब मैं तुम्हें ना पाता हूं ! 
तू आएगी वापस इसी इल्तिजा में , मैं सारी रात काटता हूं ! 
उम्मीद अब भी है तेरे एक हां का , तू बस हां कह दे मैं यहीं ठहर जाऊंगा ! 
(राहुल कुमार) #Teri talash mein 
     by - Rahul Kumar
rahulkumar7355

Rahul Kumar

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