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मेरी कलम से..... ईश्वर ना है,या है ईश्वर, क्या

मेरी कलम से.....

 ईश्वर ना है,या है ईश्वर,
 क्या इसमें सच्चाई है।
 वह जो कहता है ईश्वर कि, 
 वह कोई भरमाई है।
 या जो कहता ना है ईश्वर कि,
 वह कोई हरजाई है।
 कहां गए गोविंद वह कि,
 द्रौपदी की चीर बचाई है।
 आज जो चीरा ही नहीं अपितु,
 कुत्तों ने बेटी जलाई है।
 ईश्वर ना है या है ईश्वर, 
 क्या इसमें सच्चाई है।
 बिलख रहा है संविधान कि,
 न्याय की धज्जी उड़ाई है।
 याचिका के नाम पर,
 कुत्तों की फांसी रुकवाई है।
 अखबारों में फिर एक खबर नहीं आई है, 
 चंद माह की बच्ची भी दरिंदों ने नोंच खाई है।
 चाय की दुकान पर बैठकर अखबारियों ने 
 फिर एक चुस्की लगाई है। 
 और व्यंग्य मे कहे कि
 पिछले जन्मों की सजा उसने (पीड़ित ने) पाई है।
 ईश्वर ना है या है ईश्वर,
 क्या इसमें सच्चाई है।

                                     
                                     -जतिन ईश्वर ना है या है ईश्वर
मेरी कलम से.....

 ईश्वर ना है,या है ईश्वर,
 क्या इसमें सच्चाई है।
 वह जो कहता है ईश्वर कि, 
 वह कोई भरमाई है।
 या जो कहता ना है ईश्वर कि,
 वह कोई हरजाई है।
 कहां गए गोविंद वह कि,
 द्रौपदी की चीर बचाई है।
 आज जो चीरा ही नहीं अपितु,
 कुत्तों ने बेटी जलाई है।
 ईश्वर ना है या है ईश्वर, 
 क्या इसमें सच्चाई है।
 बिलख रहा है संविधान कि,
 न्याय की धज्जी उड़ाई है।
 याचिका के नाम पर,
 कुत्तों की फांसी रुकवाई है।
 अखबारों में फिर एक खबर नहीं आई है, 
 चंद माह की बच्ची भी दरिंदों ने नोंच खाई है।
 चाय की दुकान पर बैठकर अखबारियों ने 
 फिर एक चुस्की लगाई है। 
 और व्यंग्य मे कहे कि
 पिछले जन्मों की सजा उसने (पीड़ित ने) पाई है।
 ईश्वर ना है या है ईश्वर,
 क्या इसमें सच्चाई है।

                                     
                                     -जतिन ईश्वर ना है या है ईश्वर
jats7743422637507

Jatin

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