टूटा हुआ बिखरा हुआ एक आशियाना था, आस्मान से दूर, जमीन से परे उसका ना कोई ठिकाना था। हर मौसम में मकान बदलता फिरता अंजान परिंदो सा, कोई ना इस जग में था उसका,ठोकर खाता गैरो सा। हर हालात को यूही सहता ,कभी किसी को कूछ ना कहता; सोचता रहता हर पल कूछ कूछ, कभी ना किसी से बतलाता,मन कि बातों को यूही छूपाकर सिर्फ होंठो से मुस्काता। बहूतों ने पास आकर पूछा उसके मन कि अभिलाषा, लेकिन कभी ना कहता किसको वो अपने मन कि व्याथा। जानता था ये जालिम दूनिया छिन लेगी खूशियों का डेरा, कभी नहीं ये समझ पाएगी मेरे अंधेरों का सवेरा। आखिर एक दिन फंसा परिंदा उन नैनो कि जाल में, जिसे देखना चाहता था वो हर अच्छे बूरे हाल में। नहीं जानता था वो मंजर पास खडा़ है राहों पर, जब उसकी भी चिता जलेगी उनही बीच चौराहों पर। #deepthoughts #suspensestory #life #lifequotes #hindipoem #yqbaba #yqdidi #yqdada