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फूलों सा कमल है जो, सपनों का दर्पण है जो, कभी हंसत

फूलों सा कमल है जो, सपनों का दर्पण है जो, कभी हंसता कभी रोता जो, बातें हैं उसकी अनेक, विचार है उसके अनेक। राते है उसकी अनेक, प्रातः है उसकी अनेक । कभी हवाओ सा चंचल, कभी शांत हर पल,। सागर है गहरा भावों का, गागर है गहरा घाव का।  पढ़ती जब छाया यादों की, पढ़ती जब काया लहरों की, एक हिरण सी स्वरित होती लहर लहर  मन के उमंगों की।।

©Rimjhim's World
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