पैसे की चादर से रिश्तों में आई कड़वाहट को ढकना चाहते हैं लोग पर ये भूल जाते हैं कि चंद सिक्कों में नहीं बिकती रिश्तों की डोर एक बार जो लग जाए गांठ इस डोर में, नहीं होती दूर कितना भी लगा लो ज़ोर वो प्यार है जिसके संग ये निभती है चाहे रहो कितनी भी दूर ये डोर है नाजुक, ना नफ़रत से इसे तोड़ ना लाओ इस प्यार के बीच कोई और बांध लो रिश्तों को, यही निभाएंगे साथ चाहे रहे दौलत यां ले जाए उसे कोई चोर ©Dr Supreet Singh #पैसे_करे_अपनों_से_दूर