मैं जब सुर्ख होता हूँ बड़ा होता हूँ मेरा रूप प्रेम होता है और आत्मा युगल एक दूजे के लिए परस्पर व्यवहार में जीता हूँ, बड़ा होता हूँ। प्रेम परवान चढ़ता है सादगी छटा बिखेरती है साथ जीता हूँ साथ मरता हूँ, और बड़ा होता हूँ। गुलाबी स्नेह का हर क्षण काँटों पर भारी पड़ता है मैं फूल हो जाता हूँ याचना का नहीं,युगल का प्यारा गुलाब तुम्हारा। अपनी शाख़ में लगे तुम , आकर्षक बहुत लगते हो , महक तुम्हारी... मुझे... मदहोश करती है , इक पल को तो... मेरा भी... जी चाहता है तोड़कर... पास रख लूँ मैं मेरे ,