Nojoto: Largest Storytelling Platform

White मेरे अल्फाजों में कमी आ गई जब मैंने अपना घर

White मेरे अल्फाजों में कमी आ गई 
जब मैंने अपना घर अपनी गलियां लांघीं,

यूं तो न जाने कितने मीलों चला हूं मैं 
मगर उस दिन चार कदम पर घर की याद सता गईं,

ये अनजान शहरों की अनजान गलियां में मेरे हाल बे-हाल हो गए, जब सुबह 8 बजे उठने वाली आंखें सुबह 4 बजें जागी,
और 

यूं तो बड़े रौब से कहा करता था , " सब कुछ सहन कर लूंगा मैं" , मगर आज मैस का खाना देख मुझे तेरे निवाले की याद आ गई,

हां! पुष्पा ( मां ) तेरे बेटे के अल्फाजों में कमी आ गई।

Dil se✍️

©chetan parihar
  #where_is_my_train