मैं विनाशक हूं, मैं मानती हूं।मैं सृजन करना भी जानती हूं। यह सत्य है, लेकिन कि यह बात मैं हर किसी को बताना नही चाहती। जो बिन कहे स्वीकारें, उसे ही मैं सहृदयता से अपना मानती हूं। मैं क्यों बताऊं? कि मैं विश्वास को किस आधार पर आंकती हूं। यह सत्य है कि मैं अपने- पराए दोनो का विश्वास करना जानती हूं। संदेह जो विश्वास पर करें, उसे विश्वास मैं दिलाना नही चाहती हूं। ©Ruksar Bano #dilemma #संदेह#विश्वास