Nojoto: Largest Storytelling Platform

लिखता हूँ ******* एक ढलती शाम,फिर एक उदासी लिखता ह

लिखता हूँ
*******
एक ढलती शाम,फिर एक उदासी लिखता हूँ
हासिल जो न हुई जिंदगी,शाबासी लिखता हूँ।

जीत लूँ जहां तलवारों से,मैं सिकंदर तो नही
प्रेम प्रतीक बनूँ,खुद को ब्रिजवाशी लिखता हूँ।

लोग पाने की होड़ में,क्या-क्या ना भूले सबब
मैं पाकर भी खोया,अब उसे बासी लिखता हूँ।

एक घर घरौंदे सा बना लूँ,सपना है मगर
 मोह त्याग बनूँ कोई सन्यासी लिखता हूँ।

ढूंढ रहा वो जगह पर्वतों में जहाँ चैन मिले
आदतें औघर हो चली,कैलाशी लिखता हूँ।

तेरा नाम लिख आऊं,समंदर के रेत पे कहीं
अपना इश्क़ उकेर इसे,नक्काशी लिखता हूँ

दिलीप कुमार खाँ"अनपढ़" #twilight लिखता हूँ
लिखता हूँ
*******
एक ढलती शाम,फिर एक उदासी लिखता हूँ
हासिल जो न हुई जिंदगी,शाबासी लिखता हूँ।

जीत लूँ जहां तलवारों से,मैं सिकंदर तो नही
प्रेम प्रतीक बनूँ,खुद को ब्रिजवाशी लिखता हूँ।

लोग पाने की होड़ में,क्या-क्या ना भूले सबब
मैं पाकर भी खोया,अब उसे बासी लिखता हूँ।

एक घर घरौंदे सा बना लूँ,सपना है मगर
 मोह त्याग बनूँ कोई सन्यासी लिखता हूँ।

ढूंढ रहा वो जगह पर्वतों में जहाँ चैन मिले
आदतें औघर हो चली,कैलाशी लिखता हूँ।

तेरा नाम लिख आऊं,समंदर के रेत पे कहीं
अपना इश्क़ उकेर इसे,नक्काशी लिखता हूँ

दिलीप कुमार खाँ"अनपढ़" #twilight लिखता हूँ