नभ के आलिंगन में लिपटा वो अपना सा लगता है इक सन्नाटा उधर भी है तो ख़ामोश मैं भी हूँ पूरा मैं भी नही तो अधूरा वो भी है जलते दोनों है संभवतः पश्चाताप की धवल अग्नि में लोग समझतें है रौशन हमें हर रात जगता वो भी है तो रतजगा मैं भी हूँ गर वो अब्र का चांद ठहरा तो मैं भी ज़मीं का सहरा हूँ। एक दूसरे के सुख दुःख के साथी दोनों अधूरे है, मैं और चाँद! सुख दुःख के साथी ('मैं और चाँद') (कविता) #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkसुखदुखकेसाथी #yqbaba #yqdidi