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नभ के आलिंगन में लिपटा वो अपना सा लगता है इक सन्ना

नभ के आलिंगन में लिपटा
वो अपना सा लगता है
इक सन्नाटा उधर भी है
तो ख़ामोश मैं भी हूँ 
पूरा मैं भी नही तो अधूरा वो भी है
जलते दोनों है संभवतः 
पश्चाताप की धवल अग्नि में
लोग समझतें है रौशन हमें
हर रात जगता वो भी है
तो रतजगा मैं भी हूँ
गर वो अब्र का चांद ठहरा 
तो मैं भी ज़मीं का सहरा हूँ।
एक दूसरे के सुख दुःख के साथी
दोनों अधूरे है, मैं और चाँद! सुख दुःख के साथी ('मैं और चाँद') (कविता)
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkसुखदुखकेसाथी 
#yqbaba 
#yqdidi
नभ के आलिंगन में लिपटा
वो अपना सा लगता है
इक सन्नाटा उधर भी है
तो ख़ामोश मैं भी हूँ 
पूरा मैं भी नही तो अधूरा वो भी है
जलते दोनों है संभवतः 
पश्चाताप की धवल अग्नि में
लोग समझतें है रौशन हमें
हर रात जगता वो भी है
तो रतजगा मैं भी हूँ
गर वो अब्र का चांद ठहरा 
तो मैं भी ज़मीं का सहरा हूँ।
एक दूसरे के सुख दुःख के साथी
दोनों अधूरे है, मैं और चाँद! सुख दुःख के साथी ('मैं और चाँद') (कविता)
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