किरदार : मेरा ************* विचलित मन ,भीगी सी पलके चारो और मौन लटका है , कुछ -कुछ ढूंढ रहा पगला मन जाने कहां- कहां भटका है…… आह्लादित जीवन के वो पल आड़ में उनकी कौन खड़ा है , छोड भंवर में जीवन नैया मांझी अब किस ओर मुड़ा है…. सुरभित सा मन का ये उपवन तूफानों की भेंट चढा है , भटकी सूनी सी राहों में आज मेरा प्रतिबिंब खड़ा है …. उम्मीदों के बादल छिटके बदली कहीं दूर बरसी है , उड़ता फिरता आस परिंदा पंख तुडा कर आन गिरा है …. मेरा किरदार कहीं खोया फिर हर मुश्किल से कौन लडा है , आज जवाबो के घेरे में मेरा इकलौता प्रश्न खड़ा है….. किसका रस्ता देखे पगले उस रस्ते से कौन मुड़ा है , आजा वापिस घर को अपने कब से टूटे दर पे खड़ा है ……!! अंकुर ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) किरदार : मेरा ************* विचलित मन ,भीगी सी पलके चारो और मौन लटका है , कुछ -कुछ ढूंढ रहा पगला मन जाने कहां- कहां भटका है…… आह्लादित जीवन के वो पल