चरणों की धूल क्यूँ जमाना कर रहा है तू इतनी बड़ी भूल दौलत के पिछे भागना है तेरा बेफिजूल कुछ भी नही औकात है मेरी नजरो मे इस दौलत की अगर एक पल्ले मे रख दूँ माँ के कदमो कि धूल न बन रहा हो अगर कोई काम किसी का लेले माँ कि दुआयें चूम ले माँ के कदमो की धूल जिसने न देखा हो अली जन्नत इस जमीन पर जाके उठा के देख ले माँ के कदमे की धूल #विचार#कविता#शायरी #माँ के#कदमो की#धूल...