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White कभी अश्क बनकर, निकल गया। कभी यूं चिराग बनकर,

White कभी अश्क बनकर, निकल गया।
कभी यूं चिराग बनकर,जल गया।।

कभी मुझको, रोशनी चुभने लगी।
कभी पुरखतर अंधेरा , खल गया।।

कभी हमने, रात गुजारी जागकर।
कभी दिन,यूं इंतजार मे ढल गया।।

कभी मै, राह-ए-उल्फत पर चला।
कभी खुद-ब-खुद , फिसल गया।।

©Kaushal sharma #good_night  M.K.kanaujiya  Adv Sony Khan  शेरो शायरी
White कभी अश्क बनकर, निकल गया।
कभी यूं चिराग बनकर,जल गया।।

कभी मुझको, रोशनी चुभने लगी।
कभी पुरखतर अंधेरा , खल गया।।

कभी हमने, रात गुजारी जागकर।
कभी दिन,यूं इंतजार मे ढल गया।।

कभी मै, राह-ए-उल्फत पर चला।
कभी खुद-ब-खुद , फिसल गया।।

©Kaushal sharma #good_night  M.K.kanaujiya  Adv Sony Khan  शेरो शायरी