कब तक बहता रहेगा मेरा लहू नर्गिस उस अंधे देवता से क्या कहूँ नर्गिस ये सोच कर तो न आयी थी तेरी इस जमीं पे नर्गिस अब तू ही बता कहाँ रहे तेरी नर्गिस दूर से देखती थी इस जमीं को जब लगी थी मुझको ये हरी-भरी नर्गिस आसमां से चली थी मैं बन के इक परी नर्गिस आ देख ले खुदा कहां पर पड़ी है तेरी नर्गिस माँ का आँचल पिता का प्यार पाने को तरस रही जाने किस जमाने से नर्गिस मिला था जब से इक फरिश्ता तेरा मुझको तब से खुद को ही खो बैठी है तेरी नर्गिस नर्गिस के फूल पर वो नूर बन के जो पड़ा तो खिलखिला उठी ये नर्गिस देख ले तु भी खुदा हाल-ए-मोहब्बत नूर का हो गयी बे-नूर-ए-मोहब्बत तेरी प्यारी नर्गिस नर्गिस बेनूरी खज़ा तेरी नर्गिस