सुख दुःख तो अथिति हैं बारी बारी से आयेंगे सुख आए तो घमंड मत करना दुःख आए तो थोड़ा तुम सब्र करना चले जायेंगे आकर यदि नहीं आयेंगे तो अनुभव जीवन का कहाँ से लायेंगे। सुख जीवन आना जगत में, मौत विदा की रात। आना-जाना नित्य है, ज्यों संध्या-परभात। सभी चाहते जग में सुख मिले निरंतर रहे दुख सदा कोसो दूर पर। सुख पाने की दौड़ में सब खो रहे सुधबुध अपनी और निकल रहा सुख अंजान पास उन्ही के हो कर ।