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इधर-उधर की, यहाँ वहाँ की,ज्यादा बड़ी बात न कहता हूँ

इधर-उधर की, यहाँ वहाँ की,ज्यादा बड़ी बात न कहता हूँ।
आज भी मॉर्निंग को सुबह नाईट को रात ही कहता हूँ।
अब भी वैसा ही हूँ,जैसा बचपन में रहता था।
सादा जीवन जीता हूँ,इसी को अपनी औकात कहता हूँ। 17th
इधर-उधर की, यहाँ वहाँ की,ज्यादा बड़ी बात न कहता हूँ।
आज भी मॉर्निंग को सुबह नाईट को रात ही कहता हूँ।
अब भी वैसा ही हूँ,जैसा बचपन में रहता था।
सादा जीवन जीता हूँ,इसी को अपनी औकात कहता हूँ। 17th
shubham6499

Shubham

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