जब दर्पण को देखा तो ऐसा लगा जैसे ख़ुद से मिले एक अरसा हुआ है भटकता रहा हूँ विचारों की तरह से जैसे मंजिलों के लिए कोई तरसा हुआ है ज़िदंगी की उलझनों और कशमकश में क्या दूर मुझसे मेरा कोई हिस्सा हुआ है ठोकरें भी मिली हैं,नफ़रते भी मिली हैं अभी ख़त्म कहाँ ये किस्सा हुआ है... #buddhapurnima #बुद्धपूर्णिमा #collab #yqdidi #talash #खोज_मैं_की #abhishektrehan #manawoawaratha