कैसे भुला दुं उन सारे पलों को हरपल जिसमें वास तेरा सांस मेरी अब तेरे सजदे तुझपें ही विश्वास मेरा दुर कहां तुम चली गई छोड़ चली अकेलेपन में फिरता फिरूं भटक रहा मैं मन के सारे उलझन में जब किसी को हंसता देखुं रब से ये फरियाद करूं ये हंसी बस हो जायें तेरी दिल से तुझे बस याद करूं