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सफर चलो जिंदगी का सफर आज एकांत से शुरू करते हैं

सफर

 चलो जिंदगी का सफर
 आज एकांत से शुरू करते हैं
 गुमनाम हो चुका हूंँ भीड़ में
सुनसान में दिन की शुरुआत करते हैं
सफर बहुत दूर का है
रास्ता भी बड़ा विकट जान पड़ता है
फिर भी चलना है जरुरी
क्योंकि मंजिल इसी वीरानगी में छिपी है
पलभर साथ बैठ लो
कौन जाने फिर कल हो ना हो
 मंजिल तक पहुंचने से पहले
 कहीं बुझ नाजाए हमारी जिंदगी का दीया

©DR. LAVKESH GANDHI
  सफर
# सफर जिंदगी का #

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