जो ही एक दुखी लड़का कृशांग लालटेन लेकर सुख ढुंढने निकला तो एकाएक उसे लौटना पड़ा, क्योंकि उस लालटेन की रोशनी में उसे बस "वो और उसका" दुःख ही नजर आ रहे थे। दुर-दुर तक सुख नहीं जब तक मन में दुख हो।