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जो ही एक दुखी लड़का कृशांग लालटेन लेकर सुख ढुंढने

जो ही एक दुखी लड़का कृशांग लालटेन लेकर सुख ढुंढने निकला तो एकाएक उसे लौटना पड़ा, 
क्योंकि 
उस लालटेन की रोशनी में उसे बस 
"वो और उसका" 
दुःख ही नजर आ रहे थे। दुर-दुर तक सुख नहीं जब तक मन में दुख हो।
जो ही एक दुखी लड़का कृशांग लालटेन लेकर सुख ढुंढने निकला तो एकाएक उसे लौटना पड़ा, 
क्योंकि 
उस लालटेन की रोशनी में उसे बस 
"वो और उसका" 
दुःख ही नजर आ रहे थे। दुर-दुर तक सुख नहीं जब तक मन में दुख हो।

दुर-दुर तक सुख नहीं जब तक मन में दुख हो।