मांझी था जीवन की नैया का जो वो अब माज़ी हो के रह गया हर शाम घूमते थे, नदी के किनारे वो किनारा एक याद हो के रह गया जगहे जहा मिलते थे ,राहे जिनमें चलते थे तेरी घर का रस्ता, रस्ता हो के रह गया हाथ में हाथ धरना,होंठ से होंठ चूमना सब बस चाहत हो के रह गया हसरत थी ये फ़िर से पा सकू तुझे पर वो ख़्याल था ख़्याल हो के रह गया रखी हुई थी फोन में सारी तस्वीरे तेरी तस्वीरो का वो फोल्डर,डिलीट हो के रह गया मुमकिन नहीं अब फिर मिल पाना दोनों को था जो प्यार एकतरफ़ा हो के रह गया #Life #writersunplugged #wu #top50