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निस्तेज नीरव नभ् पे मेघ नैराश्य के जैसे ही छाए फूट

निस्तेज नीरव नभ् पे मेघ नैराश्य के जैसे ही छाए
फूट पड़ा बिंदु आशा का कि अचानक उमंग आये
सूर्यकिरण लहराई चहुँओर हुआ प्रकाश पावन है
मुस्काई धरा और वातावरण भी अब मनभावन है
मन ने बांधी आस भोर का निकट शुभ आगमन है
रश्मि स्नान मुदित कर गया मन को फिर सावन है
ऋतु पराग बिखरे आंगन निज प्रेम पुनीत आये
मूक मौन मन में मेरे मादक मधुर संगीत आये
.
 संगीत
निस्तेज नीरव नभ् पे मेघ नैराश्य के जैसे ही छाए
फूट पड़ा बिंदु आशा का कि अचानक उमंग आये
सूर्यकिरण लहराई चहुँओर हुआ प्रकाश पावन है
मुस्काई धरा और वातावरण भी अब मनभावन है
मन ने बांधी आस भोर का निकट शुभ आगमन है
रश्मि स्नान मुदित कर गया मन को फिर सावन है
ऋतु पराग बिखरे आंगन निज प्रेम पुनीत आये
मूक मौन मन में मेरे मादक मधुर संगीत आये
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 संगीत

संगीत