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वो अपनी ही धुन में कुछ ऐसे मदमस्त था, जैसे अपने ख़

वो अपनी ही धुन में कुछ ऐसे मदमस्त था,
 जैसे अपने ख़ास रवैये, ख़ास अदाओं में व्यस्त था,
ज़िंदादिली की हद तो देखों मेरी, ऐ ज़मा वालों,
मैं फ़कीरी में सर उठाये था, जब वो अहंकार से पस्त था। #फ़कीरी
वो अपनी ही धुन में कुछ ऐसे मदमस्त था,
 जैसे अपने ख़ास रवैये, ख़ास अदाओं में व्यस्त था,
ज़िंदादिली की हद तो देखों मेरी, ऐ ज़मा वालों,
मैं फ़कीरी में सर उठाये था, जब वो अहंकार से पस्त था। #फ़कीरी