से वक्त कैसा आया है, सबकुछ देकर खुद को लिच्चड़ कहलवाया है क्यू है तू इतना गरीब जो खुद का अपमान करवाया है मत हो दुखी तुझे तैरना मैने ही सिखाया है नही हू मै इतना गरीब, मैने नियत का पता लगाया है सभल के जीना, नियत पर मल्लम तुझे ही लगाना है मत डर तू, तुझे उस नाव मे सवार होकर आगे बहते जाना है जो कुछ कहा है, कहने दे तुझे सबकुछ बहाकर आगे ले जाना है कैसे सुनू ये गंदे शब्द, जब मेहनत का फल तूने मेरे नाम कराया है छोड दू सबकुछ तो , इज्जत का ख्याल तेरी आया है इज्जत तो उसकी वी है, पर तेरी का ख्याल कुछ ज्यादा आया है तू लिच्चड नही, तूने दो बेटी का कर्ज चुकाया है जो समझे इस कर्ज को, वो धर्म तूने निभाया है मत उड़ा तू अपनी रात की नींदे, तूझे बलवान मैने बनाया है बिन मेरे साथ के तूझे, आगे चलना मैने सिखाया हैं ©shivani Dhiman #Memories Rahul Dubey Rakesh Srivastava Sushant Jha Jay Karthik Er.ABHISHEK SHUKLA