हाँ मैं किसी और के नाम का सिंदूर अपने मांग में सजाऊंगी... हाँ मैं किसी और की विहाता कहलाउगी... पर प्यार तो तुमसे करती हुँ न.. वो कैसे किसी और से कर पाऊँगी मैं तुझे भुलकर उसे कैसे अपनाउंगी शायद अपनी माँ के लिए मैं ये भी कर जाउंगी उनका क़र्ज़ तो नहीं उतार सकती पर अपना फ़र्ज़ निभाऊंगी मैं उनके लिए मुस्कुराउंगी। #कैसे_भूल_जाऊ #कैसे_करूँ #कैसे_बताऊं #कैसे_भूलूं_यार_तुम्हें