तुमसे जुदा होकर भी, जुदा ना हो पाया तुमसे कभी, चला गया सिर्फ तेरा किरदार, लेकिन दिल से तो जुड़ा हूँ हमेंशा तुमसे ही। जब आँखों के सामने थी तू मेरे, ना बटोर पाया मैं तेरा किरदार, जब तू आँखों से ओझल हो गई, तब जानी तेरी अहमियत। अब याद करू वो लम्हे, तो भी क्या फ़ायदा, जो आलम गुज़र गया, वो कहाँ वापिस आने वाला। जी रहा हूंँ आज खुद को कोसते, के क्यू नहीं रोका उसको जाने से, अगर एक बार भी पहल की होती मेने, तो आज आलम कुछ और होता। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-889 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।