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बगैर तुम्हारे , हम कैसे जिये । थोड़ा समझो प्रिय ।

बगैर तुम्हारे ,
हम कैसे जिये ।
थोड़ा समझो प्रिय ।

तुम्हे देखकर होता है ,
कोई नशा बिन पिये ।
थोड़ा समझो प्रिये ।

उधेड़ते हो तुम ही ,
तुरपाइयाँ मन की ,
तुमने ही हमारे ,
कितने ज़ख्म सिये ।
थोड़ा समझो प्रिय ।

है जीनव में और भी ,
परेशानियां कई ,
हम मुस्कुराते है तो बस ,
तुम्हारे लिए ,
थोड़ा समझो प्रिय ।

©Vinod mehra #vinodmehrashayari 

#Health
बगैर तुम्हारे ,
हम कैसे जिये ।
थोड़ा समझो प्रिय ।

तुम्हे देखकर होता है ,
कोई नशा बिन पिये ।
थोड़ा समझो प्रिये ।

उधेड़ते हो तुम ही ,
तुरपाइयाँ मन की ,
तुमने ही हमारे ,
कितने ज़ख्म सिये ।
थोड़ा समझो प्रिय ।

है जीनव में और भी ,
परेशानियां कई ,
हम मुस्कुराते है तो बस ,
तुम्हारे लिए ,
थोड़ा समझो प्रिय ।

©Vinod mehra #vinodmehrashayari 

#Health
vinodmehra8981

Vinod mehra

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