बगैर तुम्हारे , हम कैसे जिये । थोड़ा समझो प्रिय । तुम्हे देखकर होता है , कोई नशा बिन पिये । थोड़ा समझो प्रिये । उधेड़ते हो तुम ही , तुरपाइयाँ मन की , तुमने ही हमारे , कितने ज़ख्म सिये । थोड़ा समझो प्रिय । है जीनव में और भी , परेशानियां कई , हम मुस्कुराते है तो बस , तुम्हारे लिए , थोड़ा समझो प्रिय । ©Vinod mehra #vinodmehrashayari #Health