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धुंधली सी है ये दुनियाँ सारी! आँसू से पलकें लगती भ

धुंधली सी है ये दुनियाँ सारी!
आँसू से पलकें लगती भारी!
चाहत मिलन की अब शायद,
जहन से होती जा रही खाली!

कर्ज सी लगती है ये ज़िन्दगी!
एक-एक साँस लगती है भारी!
हारे हुए मन से तुम्हें याद करूँ,
चुकाऊँ कैसे मैं महँगी उधारी!

समाया है मुझमें ये संसार सारा!
मैं ही ग़ुम हूँ इस जहाँ में अकेली!
तुम्हें खोने का डर सताया है मुझे
'नेहा'मंजिल का मुझे पता ही नहीं! ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1097 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
धुंधली सी है ये दुनियाँ सारी!
आँसू से पलकें लगती भारी!
चाहत मिलन की अब शायद,
जहन से होती जा रही खाली!

कर्ज सी लगती है ये ज़िन्दगी!
एक-एक साँस लगती है भारी!
हारे हुए मन से तुम्हें याद करूँ,
चुकाऊँ कैसे मैं महँगी उधारी!

समाया है मुझमें ये संसार सारा!
मैं ही ग़ुम हूँ इस जहाँ में अकेली!
तुम्हें खोने का डर सताया है मुझे
'नेहा'मंजिल का मुझे पता ही नहीं! ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1097 #collabwithकोराकाग़ज़

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nehapathak7952

Neha Pathak

New Creator