काव्य पथिक -Deep_Thinker ♥ मैं बैठी पेड़ की छाँव में सुन रही एक सुंदर सी ध्वनि को, सुन रही आवाज़ मैं उनके अज्ञात अल्फाजों को, उनकी गुटर गूँ करती आवाज में महसूस कर रही संगीत के एहसासों को, अभी अभी पहचान पाई मैं जैसे कबूतर ने कबूतरी को कुछ कहा..!