एक उसके लिए मैने कितनों से मुँह मोड़ा है, पर परवाह कहाँ इस मतलबी ज़माने मे हमरी, उसने तो एक असली शायर से मुँह मोड़ा है। पहचान कर भी नज़र अंदाज कर उसने मेरा दिल चूर–चूर कर तोड़ा है, अहंकार नही है मुझमे, कोशिश पूरी थी मेरी। अगर अब की बार भी उसने मुँह मोड़ा है, तो समझ लेना कि शायर ने दिल से, जीवन भर के लिए उसे छोड़ा है। एक उसके लिए मैने कितनों से मुँह मोड़ा है, पर परवाह कहाँ इस मतलबी ज़माने मे हमरी, उसने तो एक असली शायर से मुँह मोड़ा है। पहचान कर भी नज़र अंदाज कर उसने मेरा दिल चूर–चूर कर तोड़ा है, अहंकार नही है मुझमे, कोशिश पूरी थी मेरी। अगर अब की बार भी उसने मुँह मोड़ा है, तो समझ लेना कि शायर ने दिल से, जीवन भर के लिए उसे छोड़ा है।