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पढ़कर मेरे अल्फाजों को, जान नहीं तुम पाओगे।। दर्द

पढ़कर मेरे अल्फाजों को,
जान नहीं तुम पाओगे।।

दर्द भरा कितना सीने में, 
भान नहीं तुम पाओगे।।

कलम वक़्त की हाथ मेरे है, 
लिखती है जज्बात सभी।।

ठुकरा कर मेरी बस्ती को, 
त्राण नहीं तुम पाओगे।।

: ℘ཞıყąŋʂɧų ʂɧąཞɱą :

©Priyanshu Sharma पढ़कर मेरे अल्फाजों को, जान नहीं तुम पाओगे।।
दर्द भरा कितना सीने में, भान नहीं तुम पाओगे।।
कलम वक़्त की हाथ मेरे है, लिखती है जज्बात सभी।।
ठुकरा कर मेरी बस्ती को, त्राण नहीं तुम पाओगे।।

*: ℘ཞıყąŋʂɧų ʂɧąཞɱą :* 

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पढ़कर मेरे अल्फाजों को,
जान नहीं तुम पाओगे।।

दर्द भरा कितना सीने में, 
भान नहीं तुम पाओगे।।

कलम वक़्त की हाथ मेरे है, 
लिखती है जज्बात सभी।।

ठुकरा कर मेरी बस्ती को, 
त्राण नहीं तुम पाओगे।।

: ℘ཞıყąŋʂɧų ʂɧąཞɱą :

©Priyanshu Sharma पढ़कर मेरे अल्फाजों को, जान नहीं तुम पाओगे।।
दर्द भरा कितना सीने में, भान नहीं तुम पाओगे।।
कलम वक़्त की हाथ मेरे है, लिखती है जज्बात सभी।।
ठुकरा कर मेरी बस्ती को, त्राण नहीं तुम पाओगे।।

*: ℘ཞıყąŋʂɧų ʂɧąཞɱą :* 

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