चलो तुम्हारी गुफ़्तुगू को साज़ करते हैं, तुम खामोश रहना, हम आवाज़ करते हैं। सिकन माथे पर जो अरसों से रवां थे, दिल की कहकर तुमसे इसे परवाज़ करते हैं। रुखसार भीग गए हैं क्या तुम्हारे मुझे खुश देखकर, तो आज से अपनी हर खुशी हम बेनियाज़ करते हैं। मेरी ज़िद थी तुम्हें खुद से ज्यादा मशहूर करने की, तो आदतन सिसकियों को पिरो कर अल्फ़ाज़ करते हैं। इक कमरा ही तो है बिखरा सा, तेरी यादों से भरा बिना बेग़म के हम बादश, इसी पे राज़ करते हैं। ज़माना भी तो क़ायल है, कितनों की हो ख़्वाहिश तुम, तेरी नजरें टिकीं मुझपर, हम इसी पे नाज़ करते हैं। .....GARग #nojoto #nojotohindi #shayari #ghazal #poetry #kavishala #guftugu #mainaurtum #alokgargkumarshukla