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तरह-तरह का प्यार बिक रहा बाज़ार में। दिलों के बढे द

तरह-तरह का प्यार बिक रहा बाज़ार में।
दिलों के बढे दाम सुना समाचार में।।

गाँव शहर देखो जजबातों का हल्ला।
गीत गज़लें कहानियां रद्दी बनी प्यार में।।

सब ने बोली लगाईं कीमती हुई तन्हाई।
छप रहे विज्ञापन इनके भी अखबार में।।

खासियत इस लैला की दर्द ज्यादा देगी।
कट जायेगी जिंदगी बस इन्तजार में।।

नौजवान रांझा ताजिंदगी देगा साथ।
रात साँसे हवा हुई बस एक ही पुकार में।।

श्रृंगार के कवि को मिली जब यौवना।
उड़ गये छंद सारे, उसके घर बार में।।

©Bhanu Pratap Singh
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